बुधवार, 14 नवंबर 2012

कच्ची पोई

                                              कच्ची पोई

              मित्रों नित प्रतिदिन हमें नये-नये अनुभव होते रहते हैं । कभी अच्छे और कभी कम अच्छे ।
मृत्यु के अतिरिक्त हर अनुभव ऐसा होता है , जिससे कुछ ना कुछ सीखा जा सकता है , दुःखी हुआ जा सकता है, रोया जा सकता है या फिर हँसा जा सकता है । मैं आखिरी वाले पर अधिक ध्यान देता हूँ ।
आखिरकार हँसना ही तो वो एकमात्र उपाय है ,जिससे रक्त बढ़ाया जा सकता है वो भी निःशुल्क!

 अक्सर लोग मुझसे कहते हैं कि तुम्हें तो कुछ आता ही नहीं या अरे तुम क्या जानो इस बारे में । देखने मैं छोटा-मोटा सा हूँ सम्भवतया इसलिये ।वैसे कई बार मुझे भी लगता है कि मुझे भी दुनियादारी के बारे अभी सम्भवतः कुछ कम ही पता है  । तभी मैंने इस ब्लॉग का नाम कच्ची पोई रखा है ,क्योंकि मेरा मानना है कि इस दुनिया में मेरी कच्ची पोई है ।