शनिवार, 18 जुलाई 2015

क्लोन-बाल सुलभ कविता

बालमन के उदगार

माँ तेरे क्लोन बनवाऊँगा ,
माँ तेरे क्लोन बनवाऊँगा ।

माँ आज मैंने टीवी किया ऑन ,
वैज्ञानिक बना सकते हैं क्लोन ।
जब ये समाचार टीवी पर देखा ,
आई होंठो पर ख़ुशी की रेखा ।
बैंक से ढेर सारा लूँगा लोन ,
कई सारे बनवाऊँगा क्लोन ।

तेरे सारे क्लोन घर लाऊँगा ,
माँ तेरे क्लोन बनवाऊँगा ।

एक से तू खाना बनवाना ,
दूजे से बर्तन मंजवाना ।
तीजे से कपड़े धुलवाना ,
चौथे से झाड़ू लगवाना ।
सुबह , दोपहर या हो शाम ,
क्लोन ही करेंगे सारे काम ।

क्लोन से ही होमवर्क करवाऊँगा ,
माँ तेरे क्लोन बनवाऊँगा ।

माँ तू ही करती है सबकी चिन्ता ,
पर तेरी ही कदर कोई न करता ।
क्लोन ही दादी-दादा की डाँट खाएँगे ,
पापा क्लोन की ही फटकार लगाएँगे ।
क्लोन के खाते में सारी डाँट जाएगी ,
ये देखकर मुझे कितनी हँसी आएगी ।

माँ तेरे दुःख दूर करवाऊँगा ,
माँ तेरे क्लोन बनवाऊँगा ।

तेरा काम करना न आता रास ,
तू सोफे पर बैठना मेरे पास ।
माँ तेरे क्लोन जो बनाएँगे खाना ,
वो भी होगा स्वाद का खजाना ।
क्लोन माँ ही सारे काम करेगी ,
और तू बिल्कुल भी न थकेगी ।

क्लोन से तेरे पैर दबवाऊँगा ,
माँ तेरे क्लोन बनवाऊँगा ।

माँ के उदगार

अच्छा जी छोटे राजकुमार ,
बड़े अच्छे हैं आपके विचार ।
जब सारे ही काम करेंगे क्लोन ,
तो तुम्हारी माँ को पूछेगा कौन ।
सब क्लोन को ही पुकारेंगे ,
तेरी माँ को तो दुत्कारेंगे ।

क्लोन को इस घर में न लाना ,
बेटा तू मेरे क्लोन न बनवाना ।

डाँट उसकी तो प्रशंसा भी उसकी ,
फिर तेरी माँ प्यारी होगी किसकी ।
जो क्लोन अच्छा खाना बनाएगी ,
वही तो सबका आशीर्वाद पाएगी ।
जो दादी माँ के पैर दबाएगी ,
वही तो ढेर दुआएँ कमाएगी ।

क्लोनिंग में दिमाग न लगाना ,
बेटा तू मेरे क्लोन न बनवाना ।

काम करने में भला क्या जाता है ,
काम करके ही तो नाम हो पाता है ।
कर्त्तव्यों से ही जीवन का अर्थ ,
कर्त्तव्य बिना ये जीवन व्यर्थ ।
मेहनत करके अच्छी नींद आती है ,
वर्ना करवटों में रात गुजर जाती है ।

मुझे मेहनत से दूर न करवाना ,
बेटा तू मेरे क्लोन न बनवाना ।

न कोई काशी न कोई हरिद्वार ,
सबसे अच्छा लगता परिवार ।
सबके चेहरे पर जो आए मुस्कान ,
तो झट से उतर जाए मेरी थकान ।
बिन क्लोन मैं ही घर को सम्भालूँगी ,
चार पल तेरे लिए जरूर निकालूँगी ।

क्लोन से मेरे हक न छिनवाना ,
बेटा तू मेरे क्लोन न बनवाना ।



रचनाकार
प्रांजल सक्सेना 
 कच्ची पोई ब्लॉग पर रचनाएँ पढ़ने के लिए क्लिक करें-  
कच्ची पोई ब्लॉग 
 गणितन ब्लॉग पर रचनाएँ पढ़ने के लिए क्लिक करें- 
गणितन ब्लॉग 
कच्ची पोई फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें-  
कच्ची पोई फेसबुक पेज 
गणितन फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें-   
गणितन फेसबुक पेज 

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

एडमिन का साक्षात्कार

 वर्ष 2045 , फुक्का चैनल ।
नमस्कार , फुक्का चैनल द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम एडमिन का साक्षात्कार में मैं पुछ्छू आप सभी दर्शकों का हार्दिक स्वागत करती हूँ । आज हमारे शो पर आए हैं एक महाफुक्के एडमिन-दर्पमर्दन जी । जिन्होंने अपना जीवन व्हाट्सएप्प पर एक समूह के नाम कर दिया । इन्होंने समूह बनाने के बाद जीवन भर न कभी चैन की रोटी खाई न ही  खाने दी । बस चैटिंग करी और साथ ही अन्य 99 लोगों से भी करवाई । सन् 2009 में व्हाट्सएप्प आने के साथ ही दर्पमर्दन नाम के युवक ने काहिलों का ग्रुप नाम से एक व्हाट्सएप्प समूह बनाया और उसकी प्रगति के लिए अपना सम्पूर्ण डाटा लगा दिया । आज हम जानेंगे कि कैसे उन्होंने इस समूह को नई ऊँचाईयाँ दीं और लोगों को वास्तविक काहिल बनाया । 
तो दर्पमर्दन जी , आपको कब लगा कि आपको एक व्हाट्सएप्प समूह बनाना चाहिए ।
दर्पमर्दन - जी , देखिए ऐसा है 2009 में व्हाट्सएप्प पहली बार आया था । उससे पहले भी हालाँकि समय खराब करने के कई साधन थे । पर व्हाट्सएप्प जैसा कोई नहीं था । जैसे ही व्हाट्सएप्प आया और उसमें समूह बनाने का विकल्प आया तो मेरी बाँछें खिल गईं । मैंने सोचा कि क्यों न एक समूह मैं भी बना लूँ जिसमें सारे काहिल एक साथ हों । उस समय 50 लोगों का समूह बना करता था । आरम्भ में इतने काहिल लोग मिलना मुश्किल हुआ । समूह में पहले 10 ही लोग थे । फिर समूह में मन्त्रणा हुई जिसमें ये निष्कर्ष निकला कि केवल 10 ही लोग काहिल क्यों रहें । आज दुनिया में बहुत से लोग अपने व्यवसाय में व्यस्त हैं । क्यों न इन्हें व्यवसाय से विमुख करके अपने साथ मिलाया जाए । फिर प्रत्येक सदस्य को 5-5 लोगों को काहिल बनाने का उत्तरदायित्त्व दिया गया । हम लोगों ने रात-रात भर जागकर अपने मित्रों की सूची बनाई । फिर घर-घर जाकर सम्पर्क किया । प्रारम्भ में लोग साथ आने को तैयार न थे । पर बाद में धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे । अंततः लगभग 6-7 माह की मेहनत के बाद हम लोगों ने 50 काहिल एकत्र कर लिए ।

पुछ्छू - अच्छा तो इस प्रकार से आपने समूह संख्या बढ़ाई । तो क्या ये सभी लोग उपयुक्त काहिल निकले ? ”
दर्पमर्दन - नहीं , सब नहीं निकले । दरअसल 50 लोगों को हमने जोड़ तो लिया पर सब के सब सक्रिय न थे । कुछ लोग तो निजी जीवन में सक्रिय थे , कुछ लोग व्यवसाय में । हमने उनसे बात भी की कि क्यों आप समूह को समय न देकर अपने परिवार के उत्तरदायित्तवों को निभा रहे हैं ? समूह अधिक महत्त्वपूर्ण है । रात को 2 बजे तक चैटिंग न कर पाएँ तो कम से कम दिन में तो करिए । उनमें से कुछ समझे इस बात को पर कुछ न समझे । जो न समझे उन्हें बाहर कर दिया गया और उनकी जगह औरों को लिया गया ।
पुछ्छू - अच्छा तो जो नए लोग आए क्या वो अपेक्षाओं पर खरे उतरे ? ”
दर्पमर्दन - हाँ उतरे , कुछ तो उतरे और जो न उतरे उन्हें फिर बाहर करके फिर नए लिए जब तक पूरे 50 न हो गए ।

प्रांजल  सक्सेना  द्वारा  लिखी  पुस्तक  महानपुर  के  नेता  ऑर्डर  करने  के  लिए  क्लिक  करें-
 https://amzn.to/2YejJDf


पुछ्छू - क्या आपके समूह से देश और समाज को कोई लाभ हुआ ?  ”
दर्पमर्दन - हाँ जी , लाभ हुआ , बहुत लाभ हुआ । बल्कि ये कहना चाहिए कि देश में बेरोजगारी , जनसंख्या आदि कम करने में हमारे समूह ने महती भूमिका निभाई है । देखिए , हमारे समूह में आकर लोग अपने कैरियर और दैनिक कार्यों को भूल जाते थे । यहाँ 100 लोगों ने अपने कैरियर की ओर कोई ध्यान न दिया । इससे और लोगों को मौका मिला । यही नहीं इस समूह के लोगों ने अपनी पत्नियों की ओर भी न देखा । केवल एक-दूसरे सदस्य की प्रोफाइल फोटो ही देखते रहे । जिससे देश की आबादी भी सीमित रही । हम लोग सारा समय समूह पर ही बिताते थे । इसलिए आपस में ही लड़ते रहते थे जिससे बाहर कभी किसी से कोई झगड़ा न हुआ हमारा । कोई दंगा , कोई लड़ाई में हम लोग सम्मिलित न थे ।
पुछ्छू - वाह ! अर्थात समाज और देश आपका सदैव ऋणी रहेगा ? ”
दर्पमर्दन - जी , जी अवश्य ।
पुछ्छू - क्या आपको आपके एडमिन कार्य के लिए सम्मानित भी किया गया ? ”
दर्पमर्दन - जी , कई संस्थाओं ने मुझे सम्मानित किया । मेरे समूह में महिलाएँ भी थीं जो ढेर सारी बातें  बिना बोले किया करती थीं । इससे ध्वनि प्रदूषण कम हुआ । मुझे पर्यावरण विभाग से सम्मान मिला । टाइप करते-करते कई के अँगूठे खराब हुए जिसकी डॉक्टरों ने सर्जरी करके खूब कमाई की । इसलिए IMA वालों ने भी प्रशस्ति पत्र दिया । मोबाइल कम्पनियों ने तो खैर कई सम्मेलनों में भी बुलाया । कई समाजशास्त्रियों ने मुझ पर शोध भी किया और मेरे सोशल मीडिया के प्रति योगदान को देखते हुए मुझे सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन समाजशास्त्री भी घोषित किया । सड़कछाप शायरों ने भी मुझे सम्मानित किया क्योंकि उनकी शायरियों का सबसे पहला प्रकाशन हमारे यहाँ ही होता था ।
साक्षी - अच्छा आप लोगों ने क्या भाषा के लिए भी कुछ किया ? ”
दर्पमर्दन - बहुत कुछ किया हम लोगों ने । 2009 का समय प्रतियोगिता का युग था । लोग मेहनती हुआ करते थे । काहिल , फालतू , फुक्के जैसे शब्द लुप्तप्राय हो गए थे । हमने इन शब्दों को पुनः पहचान दी । साथ ही हम पर होती गालियों के प्रयोग को देखते हुए ऑक्सफ़ोर्ड ने अंततः उन्हें अपने शब्दकोश में सम्मिलित किया ।
पुछ्छू - ओह ! तब तो ऑक्सफ़ोर्ड भी आपका ऋणी रहेगा । अच्छा आपके एडमिन जीवन में सबसे बड़ा पड़ाव कब आया ? ”
दर्पमर्दन - जी , सबसे बड़ा पड़ाव आया । जब व्हाट्सएप्प ने 2014 में समूह सदस्य संख्या की सीमा 50 से बढ़ाकर 100 कर दी । अब हमें अपने काहिल समूह को और आगे बढ़ाना था । 50 से 100 तक ले जाना था । हमने पुनः काहिल ढूंढने आरम्भ किए । कुछ मेहनती और समाजोपयोगी लोगों को काहिली का महत्त्व समझाया । हमने नुक्कड़ नाटक किए जिससे लोगों में चेतना उठे कि वास्तविक जीवन में कुछ न रखा । वर्चुअल जीवन ही सब कुछ है । इससे लोगों में क्रांति आई । लोग अपने काम-धाम छोड़कर चैटिंग में समय देने लगे । फिर हमने उनमें से 50 श्रेष्ठ काहिल चुनकर अपनी सदस्य संख्या 100 करी ।
पुछ्छू - क्या आपके समूह के लोग जीवन में कुछ कर पाए ? ”
दर्पमर्दन - जी , बहुत कुछ । आज हमारे समूह के 100 में से 29 सदस्यों के अपने छोटे - छोटे काहिल समूह हैं । जिनके एडमिन का पद वो अच्छे से निभा रहे । वहाँ नित नवीन काहिलों को जोड़ते रहते हैं वो । अब तक कुल 2500 काहिल बनाए जा चुके हैं और ये कार्य लगातार जारी है । यही नहीं हमारे यहाँ से हर विधा में कोई न कोई प्रसिद्ध हुआ है । अंतर्राष्ट्रीय सस्ते शायर दुनाली फतेहपुरी भी हमारे समूह से ही हैं ।
पुछ्छू - ओहो ! यानि कि आपके यहाँ से अच्छा प्लेसमेंट मिलता है । अच्छा आप लोग अपने समूह में दिन भर क्या करते हैं ? ”
दर्पमर्दन - जी बहुत कुछ । शायरी हैं , जोक हैं , पकाऊ कविताएँ हैं , cp हैं । कुल मिलाकर बहुत प्रकार के मैसेज हैं जो हम लोग आपस में भेजते हैं । दिन भर अन्य समूहों में , इंटरनेट पर , फेसबुक , ब्लॉग आदि पर जाकर इमेज , वीडियो और मैसेज आदि ढूँढना उन्हें समूह में अपलोड करना । इसी में हम लोग थककर चूर हो जाते हैं । पर समूह में  मैसेज सतत रूप से चलते रहते हैं । कई बार खाना खाने का भी समय नहीं मिलता । पर हम लोग लगे रहते हैं ।
पुछ्छू - अच्छा , आपको इस समूह संचालन में क्या-क्या समस्याएँ आईं ? क्या कोई ऐसा दौर था जो बहुत कठिन था ? ”
दर्पमर्दन - जी , यूँ समझिए कि एडमिन और परेशानियों का तो चोली दामन का साथ रहता है । कई बार लोग cp न भेजकर ओरिजिनल मैसेज ही भेज देते हैं । इससे समूह में लोगों का रुझान कम हो जाता था । फिर पुरानी cp को ही पुनः भेज भेजकर इसकी भरपाई एडमिन को ही करनी पड़ती थी । कई बार कुछ सदस्य लेफ्ट कर जाते थे । पर उन्हें बार-बार पकड़कर मैं वापिस समूह में लाया । किन्नू नाम की एक सदस्या ने तो नाक में दम ही कर रखा था । जब देखो तब लेफ्ट । फिर मैंने उनके पति से बात की और कहा कि आप ही प्रेरित करिए इन्हें समूह में रुकने को । समूह में व्यस्त न रहेंगी तो आप पर नजर रखेंगी फिर आप ही परेशान होंगे । उन्होंने भी इसमें अपना लाभ समझा और समूह में रुके रहने के लिए उन्हें कई बार गिफ्ट दिए । जिससे उनमें स्थायित्त्व बढ़ा । अन्य कुछ सदस्यों के साथ भी ऐसी समस्या थी तो हम उन्हें मनोचिकित्सक के पास भी ले गए । 100-150 सेशन के बाद उन लोगों ने समूह से लेफ्ट होना छोड़ दिया । कई बार कुछ सदस्यों के पास नेट रिचार्ज के पैसे न होते थे तो हम सब लोग मिलकर चन्दा करते थे और सदस्य का रिचार्ज कराते थे । एक बार तो बैंक से लोन ही लेना पड़ गया । आज भी 536 ₹ महीने की क़िस्त हम लोग भर रहे हैं । पर कुल मिलाकर अच्छे काहिलों के साथ से समूह चलता रहा ।
पुछ्छू - अर्थात आप कभी भी डिगे नहीं । बहुत ही अच्छी बात है । क्या आपके समूह में कुछ नवाचार भी हुआ या फिर केवल cp के सहारे ही आप आगे बढ़े ? ”
दर्पमर्दन - नहीं , नहीं cp नहीं हम लोगों ने कुछ नए मैसेज भी बनाए । हमने रात्रिकाल में चौकीदार भी रखे समूह के लिए । दो-चार सदस्य रात भर चैटिंग करते रहते हैं । हमने उन्हें  टॉर्च के आइकॉन पर डेटा सब्सिडी भी दिलवाई । ये सदस्य रात में 3 बजे ही सुप्रभात के मैसेज कर देते हैं । जिससे समूह में सक्रियता बनी रही । हमने मुर्गे को भी पीछे छोड़ दिया है । हम लोग मुर्गों को सही समय पर जगाने का काम भी करते हैं । मुर्गे अपनी पत्नियों से कहकर हमें अंडे के रूप में इंटेंसिव भी उपलब्ध कराते हैं । हमने समाज को नए त्यौहार भी दिए । हमारा समूह तो अब केवल एडमिन और समूह वाले त्यौहार ही मनाता है और कोई नहीं ; जैसे - बीयर तृतीया , एडमिन पंचमी , डेटावली , सिम दहन , मोबाइल बन्धन , काहिल दिवस , सदस्य-ए-मिलाद , समूह कसमकस डे , हम लोग वर्ष में एक बार 7 दिन का डेटा व्रत भी रखते हैं । हम लोग अल्पाडेटा पर रहते हैं इस काल में केवल और केवल वाई-फाई का डेटा ही ग्रहण करते हैं । इसके पीछे भावना ये है कि आज भी जो लोग डेटा से वंचित हैं । उनके लिए डेटा बचाएँ ताकि सारे संसार में काहिली फ़ैल सके ।

प्रांजल  सक्सेना  द्वारा  लिखी  पुस्तक  महानपुर  के  नेता  ऑर्डर  करने  के  लिए  क्लिक  करें-
 https://amzn.to/2YejJDf


पुछ्छू - ओह ! ये बात है । मानना पड़ेगा कि आप जैसा एडमिन मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । अच्छा अन्य समूहों के एडमिन से आपके सम्बन्ध कैसे रहे ? ”
दरमर्दन - देखिए , जब आप कोई काम करते हैं तो चार मित्र और चार शत्रु बनते हैं । कुछ लोगों ने हमसे जलन रखी । वो हमारे समूह में MPM Rate यानि मैसेज पर मिनट रेट से जलते थे । पर कुछ प्रशंसा भी करते थे । पर कई एडमिन मित्रों से अच्छे सम्बन्ध रहे । एक महिला एडमिन से तो अवैध सम्बन्ध ही बन गए । पहले मुझे लगा कि ये गलती है पर जब देखा कि इस घटना से वर्ष भर समूह में चर्चा चलती रही तो मुझे लगा कि नहीं ऐसे सृजनात्मक कार्य चलते रहने चाहिए । समूह की प्रगति के लिए ये आवश्यक हैं ।
पुछ्छू - क्या आपके समूह में कभी एडल्ट पोस्ट करने वाले सदस्य भी रहे ? ”
दर्पमर्दन - हाँ रहे थे और रहे क्या हैं भी ।
पुछ्छू - आपने बताया कि आपके समूह में महिलाएँ भी थीं । महिलाएँ तो इस पर आपत्ति करती होंगी फिर कैसे मैनेज किया आपने ? ”
दर्पमर्दन - देखिए प्रतिभा , प्रतिभा होती है । प्रतिभा को कभी भी रोकना नहीं चाहिए । एडल्ट मैसेज भेजने वाले अधिकतर सदस्य सक्रिय होते हैं । अगर मैं उन्हें एडल्ट मैसेज करने से रोकता तो वो कुंठित हो जाते । इसलिए मैंने एडल्ट वालों का अलग से एक समूह बना दिया था । वहाँ लोग जी खोलकर मनचाहे मैसेज करते थे । इससे सदस्यों की सक्रियता बनी रही ।
पुछ्छू - सरकार से आप कैसी आशाएँ रखते हैं ? ”
दर्पमर्दन - देखिए , सरकार से तो मेरा यही कहना है कि वो व्हाट्सएप्प समूहों के लिए कड़े कानून बनाए । निःशुल्क और अनिवार्य डेटा के अधिकार कानून का बिल पास करे । एक दैनिक लक्ष्य निर्धारित किया जाए कि इतने मैसेज प्रतिदिन आने चाहिए । एडमिन पर भी सख्ती करे कि वो इनबॉक्स-इनबॉक्स जाकर सदस्यों को मैसेज करने के लिए बाहर निकाले ।
पुछ्छू - आज के एडमिनों के बारे में आपके क्या विचार हैं ? ”
दर्पमर्दन - सच बताऊँ तो आज के एडमिनों को देखकर बड़ी पीड़ा होती है । समूह के नाम और चित्र सुबह से सांयकाल तक कई बार बदलते हैं पर मैसेज कम करते हैं । एक वीडियो एक से अधिक बार भेजने पर सदस्य को ही निकाल देते हैं । समय पर खाना खाते और सोते हैं ।  यही नहीं अपने कैरियर के प्रति भी चिंतित रहते हैं । ऐसे एडमिनगिरी नहीं होती । एडमिन बनने के लिए बर्बाद होना पड़ता है और करना भी पड़ता है । बिना cp के समूह होने का लाभ ही क्या ? हम लोग तो मैसेज पहले करते थे खाना बाद में खाते थे । हमने तो एडमिन पद को निभाने के लिए कैरियर भी छोड़ दिया ।
पुछ्छू - ये तो है , आप जैसे लोगों ने ही विश्व पटल पर देश का नाम रोशन किया है । आज से 10 वर्ष बाद आप अपने समूह को कहाँ देखते हैं ? ”
दर्पमर्दन - “ 10 वर्ष का क्या पता मैं ही रहूँ कि न रहूँ । पर फिर भी चाहूँगा कि समूह ऐसे ही चलता रहे । हमने कुछ युवा काहिल भी जोड़े हैं । इन्हें अपने जैसा बनने के लिए प्रेरित कर रहा हूँ । आने वाली 15 तारीख को समूह के स्थापना दिवस पर एक cp प्रतियोगिता का आयोजन करा रहा हूँ । इस प्रतियोगिता के विजेता को ही अपने समूह का उत्तराधिकारी घोषित करूँगा । फिर उसे पूर्ण प्रशिक्षण देकर सह-एडमिन बना दिया जाएगा । मेरे बाद वही समूह को देखेगा । बाकि हम लोग cp का स्तर बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं । नई साइट्स ढूंढ रहे हैं जहाँ से इमेज , वीडियो आदि कम डेटा में डाउनलोड हो सकें । इसके अतिरिक्त एक ऑनलाइन काहिली प्रशिक्षण केंद्र भी खोलने पर विचार कर रहे हैं ।
पुछ्छू - आपकी योजनाएँ अत्यंत ही महान हैं । क्या आप हमारे दर्शकों को कोई सन्देश देना चाहेंगे ? ”
दर्पमर्दन - जी बिल्कुल , सन्देश बस यही है कि काहिली दिखाते रहिए । काहिली से भी इंसान आगे बढ़ता है । मुझे ही देखिए 36 वर्षों के एडमिन जीवन में कई अंतर्राष्ट्रीय व्हाट्सएप्प अवार्डों से सम्मानित किया गया । आज मेरा टीवी पर साक्षात्कार भी लिया जा रहा है । लोग इससे प्रेरणा लें । नौकरी करने में , परिवार का उत्तरदायित्त्व निभाने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण होता है एक समूह का निर्माण और उसे cp से ऊँचाई पर ले जाना ।
पुछ्छू - तो दर्शकों ये थे काहिलों के एडमिन दर्पमर्दन जी जिनसे हमने एडमिनगिरी के बारे में कई बातें की और आप लोगों को भी काहिल बनने की टिप्स मिलीं । अगले सप्ताह हम फिर उपस्थित होंगे एक नए एडमिन के साथ तब तक  व्हाट्सएप्प चलाते रहिए , पर हमारा शो देखने के बाद । धन्यवाद ।


लेखक
प्रांजल सक्सेना 
 कच्ची पोई ब्लॉग पर रचनाएँ पढ़ने के लिए क्लिक करें-  
कच्ची पोई ब्लॉग 
 गणितन ब्लॉग पर रचनाएँ पढ़ने के लिए क्लिक करें- 
गणितन ब्लॉग 
कच्ची पोई फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें-  
कच्ची पोई फेसबुक पेज 
गणितन फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करें-   
गणितन फेसबुक पेज