सोमवार, 29 जून 2015

फिर से स्कूल खुलने वाले हैं



फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ,
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।

1
जुलाई की सुबह मचेगा गदर ,
भागेंगे सबरे इधर से उधर ।
सुबह - सुबह 5 बजे उठना पड़ेगा ,
जल्दी मंजन , स्नान करना पड़ेगा ।
साईकिल , मोटरबाइक या हो कार ,
हवा , पेट्रोल भरवाकर हो लो तैयार ।

छुट्टी के दिन निकलने वाले हैं ,
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।

छुट्टी में सबरे बन गए थे नवाब ,
देर से उठकर आदत कर ली खराब ।
तुम जो इस आदत को न बदलोगे ,
तो अनुपस्थिति का दंश भोगोगे ।
ABRC
को पूरे करने हैं वीक्ष्ण ,
BEO
भी करेंगे जमकर निरीक्षण ।

लेट उठने के दिन लदने वाले हैं ,
 
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।

40
दिन तुमने बड़ा आलस दिखाया ,
बेचारी सी खटिया को खूब सताया ।
नए-नए व्यंजन की करी खूब डिमांड ,
पलंग पर खा-खाकर हो गए हो सांड ।
ये 40 दिन तुमने मौज में बिताए हैं ,
बस टीवी रिमोट के बटन दबाए हैं ।

इस हेकड़ी के दिन जाने वाले हैं ,
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।

फ्रिज का बड़ा चिल्ड पानी पिया है ,
AC ,
कूलर का भी आनन्द लिया है ।
पर अब तो पंखा भी नहीं मिलेगा ,
टपटप-टपटप खूब पसीना बहेगा ।
मास्टर की अब यही कहानी है ,
कड़ी धूप में बाइक चलानी है ।

रंग सबके काले पड़ने वाले हैं ,
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।

अबकि मास्टरों ने मनाई खूब छुट्टी ,
न ली BLO और रैपिड सर्वे की ड्यूटी ।
अबकि मास्टर RTE के नाम पर ऐंठे हैं ,
इसलिए अधिकारी खौर खाए बैठे हैं ।
आपसे पहले अधिकारी आएँगे विद्यालय ,
चेक होगा ऑफिस से लेकर शौचालय ।

अधिकारी खूब सताने वाले हैं ,
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।

ग्रामीण , रसोइया और प्रधान ,
सब मिलकर लेंगे तुम्हारी जान ।
15
जुलाई के बाद जब आएगा बुध ,
सब बच्चों को पिलाना होगा दुग्ध ।
3.59₹
में 200 ml कैसे पिलाओगे ,
क्या दुग्ध में 90% पानी मिलाओगे ।

मास्टर दूधिया बनने वाले हैं ,
फिर से स्कूल खुलने वाले हैं ।


रचनाकार
प्रांजल सक्सेना 
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बुधवार, 3 जून 2015

घरवाली - बाहरवाली


पति उवाच

तुम ही हो मेरी प्यारी पत्नी ,
तुम ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।

न करो अपना दिल  छोटा ,
मुझे न समझो पति खोटा ।
माना सुंदर है मेरी सेक्रेट्री ,
तुम्हारी सुंदरता एक हिस्ट्री ।
फिर भी तुम पर मरता हूँ ,
प्यार तुम्हें ही करता हूँ ।

वो सेक्रेट्री पर तुम हो पत्नी ,
तुम ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।

माना वो लगती है सुंदर ,
तुम हो पुराना खण्डहर ।
माना उसकी सुंदर टाँगे ,
तुम्हारे पास बस माँगें ।
वो कपड़े पहन भी अर्द्धनंगीनि ,
और तुम हो मेरी अर्द्धांगिनी ।

माना वो है चटपटी चटनी ,
तुम ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।

माना शहद सी उसकी बोली ,
और तुम एक कड़वी गोली ।
माना वो लगती मनभावन ,
पर मैं तुम्हारा पक्का साजन ।
माना उसे देख मैं हो जाता जवान ,
और तुम्हें देख याद आए शमशान ।

भले जी वो हो पहाड़ की जर्नी ,
पर तुम ही हो मेरी प्यारी पत्नी ।

पत्नी उवाच

हे ! पतिदेव हमें न बहलाओ ,
बातों को तुम न गोल घुमाओ ।
हम भी मर्दों की फितरत जानते ,
आपकी तो अच्छे से पहचानते ।
पत्नी सुंदर हो या सुन्दरतम ,
फिर भी चाहो एक प्रियतम ।

घर से बाहर भी चाहो सजनी ,
भले ही कितनी अच्छी हो पत्नी ।

माना कभी मैं बर्तन मंजवाती हूँ ,
कपड़े भी तुमसे धुलवाती हूँ ।
पर वो तो सैंडिल उठवाएगी ,
मॉल में जेब खाली कराएगी ।
और जब जेब खाली हो जाएगी ,
तब वो किसी और को पटाएगी ।

घरवाली सबको लगे है वजनी ,
भले ही कितनी अच्छी हो पत्नी ।

जब बियाह के घर में आई थी ,
तब मैं भी मक्खन मलाई थी ।
बच्चों का जन्म , तुम्हारी फिकर ,
इन सबने बिगाड़ी मेरी फिगर ।
जो इन जिम्मेदारियों से हटती ,
तुम्हारी कोई इज्जत न रहती ।

फिर भी तुम्हें भाए वो बातूनी ,
भले ही कितनी अच्छी हो पत्नी ।

रचनाकार
प्रांजल सक्सेना 
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