सोमवार, 14 अगस्त 2023

सुन बन्दे

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे।


हम भारत के रहने वाले हैं,

हम भारतवासी कहलाते हैं।


आजादी के नये तराने, 

हम झूम-झूमकर गाते हैं।


पसीना नहीं खून बहाकर,

पायी हमने आजादी है।


अहिंसा है पहचान हमारी, 

और पहनते हम खादी हैं।


सब धर्मों का सम्मान यहाँ, 

हम सबको नमन करते हैं।


अपनी-अपनी उपलब्धि से हम,

देश को चमन करते हैं।


देशभक्ति का भी तुझमें हो एक गुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे।


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देखो-देखो 15 अगस्त को,

आजादी हमने पायी है।


गांधी से ले अशफाक तक,

सबकी कहानी समायी है।


क्रांतिकारियों की कहानी,

हम एक-दूजे को सुनाते हैं।


बलिदानों की गाथा को,

हम झूम-झूमकर गाते हैं।


हिमालय से है शान हमारी,

हम उस पर झण्डा फहराते हैं।


है माटी से पहचान हमारी,

हम इसका तिलक लगाते हैं।


बैलों के घुँघरू में भी तो है एक धुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे।


होली, दीवाली के त्योहार से,

दुनिया में हम जाने जाते हैं।


ईद, क्रिसमस और लोहड़ी भी,

हम मिल-जुलकर मनाते हैं। 


चाँद है देखो कितना अपना,

हर धर्म से उसका नाता है।


रहीम और रसखान के भजन,

हर कृष्णभक्त गुनगुनाता है।


सिक्ख जब करवाते लंगर,

किसी से धर्म न पूछा जाता है।


ईद और होली के उत्सव पर,

हिन्दू को मुस्लिम गले लगाता है।


तिरंगे के रंगों से आज तू खेल फागुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे।


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अपने भारत के झण्डे को,

ऊँचे से ऊँचा लहराना है।


तू है प्यारे देश का गौरव,

देश को आगे ले जाना है।


एकता की राह पर चलकर,

तुझे देश का मान रखना है।


कोई कितना भी चाहे पर,

लालच का फल न चखना है।


एक बगिया के फूल हैं हम,

हम भारत को महकाते हैं।


जो टूटा हो दिल किसी का,

तो उसको गले लगाते हैं।


नफरत की आंधी में तू प्यार की राह को चुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे।


धरती को मानकर मैय्या,

किसान अन्न उपजाते हैं।


चलो उनका साथ निभाने,

हम सब आगे आते हैं।


देश की रक्षा करने को कुछ,

सीमाओं पर लड़ने जाते हैं।


उनको भी है नमन हमारा,

वो देश का मान बढ़ाते हैं।


छूने को निकले हैं हम चाँद,

पूरे गगन को अपना बनाना है।


हम भारत माँ के बच्चे हैं,

उनके आगे शीश नवाना है।


बस भारत की उन्नति के सपनों को तू बुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे,

सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन सुन बन्दे।


रचनाकार
प्रांजल सक्सेना 
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