शनिवार, 3 अक्तूबर 2015

पहली बार बने पीठासीन



पहली बार बने पीठासीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

क्या हुआ ये कैसे हुआ ,
इसे दुआ मानूँ या बद्दुआ ।
बना दयो पीठासीन अधिकारी ,
पीठ पर बिठाए तीन कर्मचारी ।
ढेर सारी लाद दी जिम्मेदारी ,
उस पर लिफ़ाफ़े भारी - भारी ।

हालत हो गई कतई दीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

ये डायरी मिली है कि डायरिया ,
मानो अंग्रेजी की हैं शायरियाँ ।
हम काम करते - करते डरें ,
या फिर डर से काम करें ।
लिफ़ाफ़े गिनें कि लाख लगाएँ ,
या पुरुष स्त्री के आँकड़ें भिड़ाएँ ।

ड्यूटी की बातें बड़ीं महीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

बात ससुरी समझ न आवे ,
थर-थर-थर बदनवा काँपे ।
बज गई मेरे फोन की घण्टी ,
ध्यान रखना मुन्नी और बंटी ।
पापा आएँगे दो दिन बाद ,
चुनाव का हुआ है शंखनाद ।

दो दिन धूनी जमेगी पराई जमीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

क्या खाऊँ कौन सी पियूँ घुट्टी ,
कि बढ़िया हो पीठासीन की ड्यूटी ।
सोच - सोच मेरा दिल घबड़ा रहा ,
घबराहट में पेट भी गड़बड़ा रहा ।
क्या होगा कैसे कराऊँगा चुनाव ,
होगी अधिकारियों की काँव - काँव ।

दो दिन जिंदगी बनी कमीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

मास्टर ट्रेनर झाड़ पर चढाएँ ,
सेक्टर मजिस्ट्रेट डाँट पिलाएँ ।
एक मुस्काए एक आँखें दिखाए ,
कुल मिलाकर दोनों बड़ा डराएँ ।
ढेर नियम ढेर सारी धाराएँ ,
कैसे सबको दिमाग में घुसाएँ ।

करूँ नागिन डांस बिन बाजे बीन ,
पहली बारे बने पीठासीन ।

अभी - अभी तो ग्रेड था बदला ,
नए ग्रेड से एक ही वेतन निकला ।
इत्ती जल्दी पीठासीन बनाया ,
दिमाग को दही में मिलाया ।
कौन सी गलती कब के गुनाह ,
किसी न पूछी अंतिम चाह ।

ड्यूटी ससुरी बड़ी जहीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

भुने चने लूँ या बिस्कुट ले जाऊँ ,
मोमबत्ती बन्द कर कछुआ जलाऊँ ।
घर से दो - दो चद्दर ले जाऊँ ,
एक ओढूँ और एक बिछाऊँ ।
छोटे से बैग में क्या - क्या ठुसाऊँ ,
मानो एक दिन को गृहस्थी बसाऊँ ।

ये रात गुजरेगी संगीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

प्रथम वाला काम न जाने ,
वोटर को सही से न पहचाने ।
टेंडर वोट धड़ाधड़ पड़वावे ,
हमरी कुछ समझ न आवे ।
दूजा स्याही धीमे - धीमे लगावे ,
तीजा मतदान पेटी न उठावे ।

हो गई हालत अत्यंत दीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।

चूर हो गया मैं तो थकके ,
अब खाने हैं बस के धक्के ।
पहुँचना है पेटी जमा करने ,
कई सारे प्रपत्र हैं भरने ।
जाकर केंद्र पर बिस्तर है बिछाना ,
वहीं बैठकर हिसाब है लगाना ।

चुस गया मेरा सारा प्रोटीन ,
पहली बार बने पीठासीन ।
पहली बार बने पीठासीन ।


रचनाकार
प्रांजल सक्सेना 
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