रविवार, 3 जुलाई 2016

सत्यानाशवां वेतन आयोग

टिंगटोंग...........टिंगटोंग..........
  उठिए न देखिए सुबह-सुबह 5 बजे कौन घण्टी बजा रहा है ।
30 जून की सुबह बीना ने बिस्तर पर ऊँघते हुए अपने पति हीरालाल से कहा ।
हीरालाल -   तुम ही देख लो । मुझे इतनी जल्दी क्यों जगा रहीं ।  
बीना - “  अरे ! कमाल करते हैं आप । अभी बारिश का माहौल है 5 बजे अँधेरा सा ही होता है । पता नहीं कौन होगा । किसी ने मेरा हाथ पकड़कर खींच लिया तो । जमाने का भरोसा क्या है ?
हीरालाल आँख मलते हुए उठा और पहले ध्यान से बीना को देखा । बीना के बाल खुले हुए थे , मेकअप तो था ही नहीं । फिर चिंटू और बबली की ओर देखा । चिंटू 12 का हो चला था । अब उसने घुटन्ना भी पहनना बन्द कर दिया था । घुटन्ने में उसे शर्म आने लगी थी । पीछे दीवार पर शादी की पोस्टकार्ड साइज की फोटो लगी थी जिस पर 1 किलो धूल जम चुकी थी । निगेटिव वाले कैमरों का जमाना था । जब दो रील में पूरी शादी हो जाती थी । आज की तरह मेमोरी कार्ड वाला सिस्टम नहीं था कि खींचे रहो , खींचे रहो । उस समय कई-कई रिश्तेदार एक ही फोटो में होते थे । फोटो खिंचाने के लिए सबको एक-दूसरे में घुसकर खड़ा होना पड़ता था । इसलिए उस समय रिश्तों में निकटता अधिक थी । अब तो मौसा जी और चाचा जी एक फोटो में आना ही नहीं चाहते । सब अलग - अलग फोटो खिंचाना चाहते । क्योंकि अब वैसे भी दूल्हा-दुल्हन के पीछे की स्टेज बढ़िया बनती । पहली की फैमिली फोटो में तो वो छुप जातीं थीं ।
खैर हीरालाल ये सोचकर परेशान था कि 14 बरस पुरानी बीवी में अब ऐसा क्या रखा है कि कोई इसे उठा ले जाएगा । तभी पुनः टिंगटोंग हो गई । अब हीरालाल को उठना ही था । दरवाजे खोलने के लिए पैर में चप्पल डाली तो स्वयं को ही कोसने लगे की पता नहीं क्यों पिछले सप्ताह घण्टी सही कराई थी । न् हुई होती तो अभी आराम से सो रहे होते । दरवाजा खोला सामने पप्पू खड़ा था ।   नमस्ते बाबूजी ! आज से दो अख़बार कर दे रहा हूँ । ये बड़ा वाला तो आता ही था आपके यहाँ अब ये छुटकू और डाल दिया करूँगा ।
5 बजे के घण्टी बजने के सिरदर्द से परेशान हीरालाल ने खिसियाते हुए कहा -   अरे! क्यूँ डाल दिया करोगे पिछले 6  महीने से ये पिद्दी अख़बार में तुम मुझे लपेटने की कोशिश कर रहे हो । अरे! मैं करूँगा क्या इसका ?  
पप्पू - “  अरे ! करेंगे कैसे नहीं बाबूजी , ये अख़बार आपके बैग में कहाँ रखकर चला जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा । अब आप सुबह - सुबह जल्दी निकल जाते हो बस पकड़ने के लिए कहाँ फुर्सत मिलती होगी देश दुनिया जानने की । ऐसे में बस में पढ़ने के काम आएगा । बाकि बड़ा अख़बार आप घर आकर पढ़ लिया करना ।
हीरालाल - “   पर पप्पू पैसा कहाँ है स्टोरकीपर की नौकरी में मिलता ही क्या है तुम ये 30 रूपए महीने का बोझ और डाल रहे जो कभी - कभी 31 का भी पड़ेगा । ससुर तनख्वाह तो 31 दिन वाले में एक दिन की ज्यादा मिलती नहीं है । पर बाकि खर्चे एक दिन के बढ़ जाते हैं ।
पप्पू -    अरे ! बाबूजी खर्चे की अब क्या चिंता है अब तो आपकी पगार 23% बढ़ रही है । देखिए नया वेतन आयोग लग गया है । अब तो आप 6 महीने की पगार में लाख से ऊपर पहुँचोगे । इसी ख़ुशी में तो आज से चुहिया बराबर अख़बार बढ़ा रहे ।
हीरालाल ने नाक खुजाते हुए कहा – सच में बढ़ गया है क्या ?
पप्पू -    अरे ! पप्पू की जुबान कटकर गिर जाए जो पप्पू ने झूठ बोला हो तो । देखिए आज के फिरन्ट पेज पर खबर है ।
पप्पू ने नया वेतन आयोग लगने का समाचार हीरालाल के आगे कर दिया । हीरालाल चाहकर भी अपनी मुस्कुराहट न छिपा पाए । पप्पू ने कहा -    तो अब तो पक्का है न कल से छुटकू अख़बार ।
हीरालाल मना तो करना चाहते थे पर वेतन बढ़ने की प्रसन्नता में मना कर न पाए । पप्पू चला गया , हीरालाल ने दरवाजा बंद किया और समाचार पत्र लेकर अंदर आ गए । बीना उठकर उनके पास आई ।
हीरालाल -    लो अब तुम क्यों उठ गईं । जब मैं उठ ही गया था ।
बीना -    सोचा तो था सोऊँगी अभी ।  पर पप्पू की आवाजें आ रही थीं कि आपका वेतन बढ़ गया तो उठ आई । वैसे कितना बढ़ गया ?
हीरालाल -    हुम्म पैसे के नाम से नींद हवा हो गई तुम्हारी ।.......23% बढ़ा है ।
बीना -    हाय 23% बढ़ेगा । अभी आपको 15000 मिलते हैं तो अब कितने मिलेंगे ?
हीरालाल -    पता नहीं हिसाब में कमजोर हूँ । ऑफिस में माधव से लगवा लूंगा कितने बढ़े । बस इतना पता है 23% बहुत होते ।
बीना -    बहुत होते हैं तो अच्छा । अबकि एक सोने की चेन दिलवा ही दीजिएगा । आपका वो जो आएगा न क्या कहते हैं उसे.....हाँ एरियर ।
हीरालाल ने बाल खुजलाते हुए कहा -    प्लान तुम्हारे पहले बन जाते हैं पैसा बाद में आता है ।
बीना - “   अरे ! बनेंगे क्यों नहीं जी , एक भारतीय नारी आगे की सोचकर बजट बनाकर चलती है । आप अनाप - शनाप न खर्च कर दें इसलिए अबकि पहले ही सोच लिया था कि चेन लेनी है ।
टिंगटोंग.....पुनः घण्टी बज गई । बीना -    अब तो कमला ही होगी । पर आज बड़ी जल्दी आ गई ।
बीना ने दरवाजा खोला । रूखे मुँह वाली कमला आज खिली - खिली घर में आई थी । सिर्फ अपनी मालकिन से मतलब रखने वाली कमला ने चिल्लाकर हीरालाल को राम - राम की ।
कमला -    बधाई हो साहब अब आपकी पगार बढ़ने वाली है अब तो हम भी 200 रूपए बढ़ाएंगे ।
हीरालाल -    अरे ! अब तुम किस बात के 200 बढ़ाओगी पिछले साल ही तो 50 रूपए बढ़ाए थे । अब एकदम से 200 बढ़ाओगी ।
चिकचिक में माहिर कमला आज बिल्कुल भी चिढ़ी नहीं आखिर मामला वेतन बढ़वाने का जो था । कमला ने कहा -    क्या साहब 6 महीने हो गए उस बात को । महँगाई तो देखिए बेल की तरह बढ़ रही है और वैसे भी अब आपको किस चीज की चिंता । आपके भी तो पैसे बढ़ रहे हैं वो भी बहुत सारे ।
बीना -    तुझे कैसे पता ?
कमला - “   पता क्यों नहीं होगा मालकिन । हमारे यहाँ भी छोटा वाला कलर टीवी है । पिछले बरस रमुआ के बप्पा लाए थे । उसी में देखा हमने । ये भी बता रहे थे कि सरकारी लोगों की पगार बहुत बढ़ गई है और पगार बढ़ने से महँगाई तो अब आसमान फाड़कर बढ़ेगी । अब आप ही बताइए मालकिन सिर्फ 200 रूपए ही तो बढ़ा रहे हम । इसमें  क्या हो जाई । बस पेट ही भर पाएगा । आप बड़े लोगों की तो हजारों में तनख्वाह बढ़ रही है तो इस गरीब के खाते में 200 बढ़ जाएँगे तो क्या फर्क पड़ेगा आपको ।
बीना ने हीरालाल की ओर देखा । हीरालाल में इतनी हिम्मत तो थी नहीं कि बीना से कह दें घर में खाली रहती हो तो घर के काम खुद ही कर लिया करो क्योंकि पड़ोस के चपरासी के यहाँ कामवाली लगी थी तो स्टोरकीपर के यहाँ कैसे न लगे । आजकल स्टेट्स मेंटेन करके चलना पड़ता है । चिंटू को ही ले लो उसे कॉपी की चिट डोरेमॉन वाली ही चाहिए वो भी चिकने कागज की । तितली वाली खर्रे कागज की तो ओल्डफैशन हो गई है । सबका स्टैंडर्ड है भाई । कमला को भी तो केबिल वाले को मैनेज करना है ताकि टीवी निर्बाध चलता रहे और उसे सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ने की खबर मिलती रहे और वो अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए अपना वेतन बढ़वाती रहे । आज 200 रूपए बढाने का मतलब था कि नई नौकरानी ढूँढना । जिसका नया वेतन स्वाभाविक रूप से कमला के वर्तमान वेतन से 500 रूपए अधिक होता । इसलिए हीरालाल ने हाँ में सिर हिलाकर 300 रूपए प्रतिमाह की बचत कर ली ।
कमला घर के काम निपटाने लगी । इधर हीरालाल ऑफिस के लिए तैयार होते रहे । दो घण्टे बाद हीरालाल ऑफिस जाने को तैयार थे । आज सितारे वाली शर्ट पहनकर जा रहे थे । जो सबसे छोटे साले की शादी में उन्हें विदाई में मिली थी । आज वेतन बढ़ गया है तो चमकना जरूरी था । बाहर निकलने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला सामने दूधवाला-बहोरी खड़ा था ।
बहोरी -    अरे ! राम - राम बाबूजी आखिर आप मिल ही गए । आज हमने बहुत हई तेज साइकिल चलाई । हाँफ गए पर आपके दफ्तर जाने से पहले  आ गए ।
हीरालाल -    अब ऐसी क्या बात थी जो आज मुझसे मिलना ही था ?
बहोरी -    जी वो हम हर महीने आपको 45 रूपए लीटर दूध देते हैं न अब अगले महीने से 50 रूपए दिया करेंगे ।
पप्पू और कमला के पैसे बढ़ा चुके हीरालाल ने नथुनों से फुफकारा और कहा -    क्यों अब तुम्हें क्या हो गया ? सीधे 5 रूपए बढ़ा लोगे । अभी तो 1 रूपया बढ़ाया था ये कहकर कि गर्मी में दूध की किल्लत होती है ।
बहोरी -    किल्लत तो है ही न बाबूजी । आपके लिए तो कैसे भी हम इंतजाम कर लेते हैं दूध का । पर वो कल रेडियो में सुना था कि सबकी पगार बढ़ रही है तो हम भी बढ़ा लें । तभी आपको अच्छा दूध ला पाएँगे ।
हीरालाल -    अब अच्छे दूध का वेतन आयोग से क्या सम्बन्ध है ? तुम्हारी भैंस क्या पगार लेती है जो पैसे बढ़ाने पर अच्छा दूध ला पाओगे ।
बहोरी -    अरे ! बाबूजी आप तो भड़कने लगे । हमने साफ़-साफ़ शब्दों में कल सुना है कि जब भी सरकारी लोगों का वेतन बढ़ता है । तो महँगाई बहुत बढ़ जाती है । अब महँगाई बढ़ेगी तो चारा भी बढ़ेगा न । मान लीजिए एक भैंसिया को हम एक दिन में 50 रूपए का चारा खिला लेते हैं पर जितना चारा 50 रूपए में अब तक मिलता था वो कल को 70 रूपए में मिलेगा । अब अगर आप पैसे न बढ़ाओगे तो 50 रूपए में भैंस का एक तिहाई चारा कम हो जाएगा । चारा कम होगा तो दूध भी कम हो जाएगा तब हमें पानी मिलाना पड़ेगा तो आप कहोगे कि बहोरी बेईमानी कर रहा है । इसलिए आपकी सेहत के लिए ही हम पैसे बढ़ा रहे । बाकि हम कोई स्वार्थी थोड़े ही न हैं । अच्छा बर्तन तो ले आइए दूध के लिए ।
हीरालाल ने बीना को आवाज दी तो वो भगौना लेकर चली आई । बहोरी ने जब दूध तौल दिया तो हीरालाल ने उसमें ऊँगली डाली फिर कहा -    अभी कौन - सा अच्छा ला रहे हो । ऊँगली पर तो चढ़ता नहीं दूध तुम्हारा ।
बहोरी -    अरे ! बाबूजी दूध है कोई प्याज का भाव थोड़े ही है जो ऊपर चढ़ेगा । आप गर्म करके देखना मलाई जरूर आएगी । अच्छा अब हम चलते हैं । फिर तय रहा न कि कल से 50 रूपए का एक लीटर दूध ।
हीरालाल हाँ तो नहीं कहना चाहते थे पर जब पप्पू और कमला को हाँ कह चुके थे तो बहोरी को कैसे मना कर देते । आखिर दूध के बिना कैसे जीते । बड़ी धीमे स्वर में 'हुंह' कहा । पर दूध में पानी होने की बात को अनसुना कर देने वाले बहोरी को वो हुंह भी नगाड़े सी सुनाई दी । जिसके प्रमाण था उसकी बत्तीसी बाहर निकल आना ।
फिर हीरालाल ऑफिस को निकल लिए । जिस बस में बैठे उसने भी टोक दिया कि अब कल से किराया बढ़ जाएगा । हीरालाल ने रोज चलने वाली सवारी होने का हवाला दिया । तो कंडक्टर ने भी कह दिया आपकी तो पिछले 6 महीने की पगार बढ़ेगी जो आपको इकट्ठे मिलेगी । हमें तो वो भी नसीब नहीं 6 महीने के नुकसान में रहेंगे हम और आप कह रहे किराया मत बढ़ाओ । किराया तो बढ़ेगा ही जी ।
हर खर्चा वेतन आयोग लगने से पहले  बढ़ चुका था । हीरालाल को ऑफिस पहुँचने की शीघ्रता थी क्योंकि उसे माधव से हिसाब लगवाना था कि कितने बढ़े । इसलिए आज हीरालाल ठीक 11 बजे ऑफिस में थे । हीरालाल तो हीरालाल आज तो अफसर भी लंच टाइम से पहले आ गए थे । माधव की टेबिल के चारों ओर भीड़ लगी थी । अब अपना नया वेतन जानना चाहते थे । माधव कलम से हिसाब लगा ही रहा था कि हीरालाल भी पहुँच गया । टेबिल पर हिसाब लगाने वाले कागज तक उसकी नजर नहीं पहुँच पा रही थी क्योंकि वो पहले से ही चारों ओर से घिरी थी । घोर जून की गर्मी में भी सब चिपके हुए खड़े थे ।
माधव हिसाब लगा चुका था । उसने कहा -    कोई फायदा नहीं हुआ । एक साल की भी कूद ठीक से न लगी ।
नरेश ने कहा -    ऐसे कैसे माधव जरा सही से समझाओ ।
माधव - “   अरे ! सही से क्या समझाना नरेश बाबू , मोटी बात समझो हर साल दो बार डीए बढ़ता और एक बार इंक्रीमेंट लगता । मरा - गिरा भी बढ़े तब भी साल भर में 13% डीए बढ़ जाता । कभी-कभी तो 15 या 18% भी और इंक्रीमेंट लगता 3% यानि लगभग 16% हर साल बढ़ता । ये जो 23% बढ़ा हुआ बताया जा रहा है ये तकनीकी रूप से केवल 14% बढ़ा है । अब 16% तो वैसे ही हर साल बढ़ता है तो 14% बढ़ने से क्या लाभ मिला । एक साल की भी कूद न लगी सही से और महँगाई देखना कैसे बढ़ेगी । अजी ! आज सुबह से जब से घर से निकलें रिक्शेवालों से लेकर दुकान पर बैठे लालाओं की आँखों में खटक रहे हैं हम लोग । वेतन तो बढ़ेगा पिद्दी सा पर हौवा इतना बड़ा खड़ा हो गया है कि महँगाई हौवे के सिर पर बैठकर कत्थक करेगी ।
नरेश -    तब तो विरोध होगा जी । मैं अभी यूनियन वालों से बात करता हूँ ।
उस दिन ऑफिस में कोई काम नहीं हुआ । सभी कर्मचारी सदमे में थे । वेतन न बढ़ने के नहीं अपितु वेतन बढ़ने के हौवा से जो समाज में फ़ैल गया था । लंच टाइम में बंसी चायवाले ने भी हिदायत दे दी कि चाय अब 8 वाली 10 में मिलेगी । शाम को लौटते समय सब्जी लेते समय सब्जीवाले ने भी चेता दिया कि पिछले साल के प्याज के भाव इस साल आलू मिलेगा ।
थके – हारे , मुँह लटकाए हीरालाल ने घर में प्रवेश किया । बीना आज नई साड़ी पहने खड़े थी । हीरालाल के घर में पहला कदम रखते ही बीना का पहला सवाल भी आया – कितना बढ़ा वेतन ?
पसीना पोंछते हीरालाल ने कहा – अरे ! क्या खाक बढ़ेगा । बस यूँ समझ लो पीतल को सोना बता दिया गया । 2000 कुल बढ़े और सुबह पप्पू से लेकर सब्जी वाले तक जो महँगाई बढ़ाए हैं वो 2500 महीना से कम न बैठेगी ।
बीना ने कहा – अरे ! तब तो हर महीने 500 का नुकसान हुआ करेगा । फिर से सारे सपने टूट गए । मैंने भी कहाँ सरकारी नौकर से शादी कर ली । इससे अच्छा तो किसी रिक्शे वाले से शादी कर लेती तो अच्छा होता । उसका वेतन भी सुबह से शाम तक बढ़ जाता है । सुबह चार किमी जाने के 20 माँग़ता तो रात को 50 माँग लेता । दुगुने से भी ज्यादा । एक आपकी नौकरी है 10 साल बाद वेतन बढ़ने की आस होती है उसमें भी पतीला लग गया । ऊपर से आप बने भी स्टोरकीपर जिसमें कोई आमदनी नहीं । इससे अच्छा चपरासी ही बन जाते तो भी रात को कम से कम 100 रूपए तो ऊपर के कमा ही लाते । पर आपको तो अपना सम्मान और ईमानदारी ही प्यारी है ।
हीरालाल , बीना की बातें सुनकर अपनी ईमानदारी और आत्मसम्मान को मन ही मन कोसने लगा । बीना ने आगे कहा – अब 2000 तनख्वाह बढ़ रही आपकी और 2500 खर्चे तो कैसे चलेगा ? दूध भी बंद नहीं हो सकता और सब्जी भी और कमला को तो काम से निकालने की सोचिएगा भी मत ।
हीरालाल – फिर तो एक ही तरीका है कि हम लोग मकानमालिक से कहकर ऊपर वाले पोर्शन में शिफ़्ट हो जाएँ । वहाँ का किराया 500 रूपए कम है तब न कोई नफ़ा रहेगा न कोई नुकसान ।
बीना – ऊपर रहने चले तो जाएँग़े पर लोगों से कहेंगे क्या कि मकान क्यों बदला ?
हीरालाल – जो भी पूछे कह देना कि वेतन बढ़ने से हमारा स्तर ऊँचा हो गया है इसलिए अब हम ऊँचे मकान में रहेंगे ।


रचनाकार
प्रांजल सक्सेना 
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